बॉलीवुड अभिनेत्री सनी लियोन कई कामों में माहिर हैं। वह सनसिटी मीडिया एंड एंटरटेनमेंट नाम के एक प्रोडक्शन हाउस की मालकिन हैं, एक कॉस्मेटिक लाइन चलाती है और तीन बच्चों की मां हैं। वह ZEE 5 की वेब सीरीज़ करनजीत कौर: द अनटोल्ड स्टोरी ऑफ़ सनी लियोन में भी काम कर रही हैं, जो कि उनके ख़ुद की ज़िंदगी पर आधारित जीवनी है। इस सीरीज का दूसरा सीज़न कल 18 सितंबर से शुरू हो चुका है है। जब उनसे पूछा गया कि वो इतनी सारी जिम्मेदारियां कैसे संभाल लेती हैं, तो उन्होंने बस इतना कहा कि "मेरे पास सचमुच एक बहुत अच्छा शेड्यूल है।" आज यहां हम उनसे अपनी कहानी ख़ुद बताने और मुंबई में अपने नए घर में सेटल होने के बारे में बात करेंगे:
आपकी बायोपिक करनजीत कौर में, आप कहानी को अपने हाथ में लेने के लिए इतनी उत्साहित क्यों थी? आपके लिए अपनी कहानी बताना इतना ज़रूरी क्यों था? बेशक आप अपने बारे में सबसे बेहतर जानती हैं, लेकिन यह मुश्किल भी है क्योंकि किसी के भी लिए अपनी ख़ुद की ज़िंदगी को ऑब्जेक्टिव बना लेना मुश्किल है, है ना?
मैंने और इस सीरीज़ के लेखक ने क्या किया कि हम लगभग 6 महीने तक साथ बैठते रहे और मैंने उन्हें सिर्फ कहानियां सुनाई। मैंने उन्हें अपनी परवरिश, एडल्ट इंडस्ट्री के बारे में बताया, मैंने क्या सोचकर कुछ अलग फैसले किए, बढ़े हुए परिवार के बारे में, बिज़नेस को लेकर किये गए फैसले और कई रिश्ते और कई अलग-अलग चीज़ों के बारे में बताया जो अब दूसरे सीज़न में एकसाथ जुड़ेंगी। और इस तरह उन्हें वो कहानी मिली जो अब सुनाई जा रही है। और वो सभी कहानियां जो मैंने उन्हें सुनाई हैं और जिन कहानियों को बायोपिक में शामिल किया गया है- वे सभी सच्ची कहानियां हैं।
कुछ हिस्से ऐसे भी थे जहां मैं उनके पास गयी और मैंने कहा' "यार ये इस तरह से नहीं हुआ था और मुझे यह पसंद नहीं आया। आप इसे इस तरह कैसे शूट कर सकते हैं? यह किरदार इस तरह नहीं था। तुम उसे इतना हल्का क्यों बना रहे हो? "मुझे इतनी सारी चीज़ें खराब लग रहीं थीं जो ठीक नहीं थी, जो हुई नहीं थी और वो लोग इस बात से खुश नहीं थे कि मैं चीज़ों को बदलना चाहती हूं। लेकिन मुझे सिर्फ सच ही बताना था। वरना मैं इसके बारे में आपसे बात नहीं कर पाती- यह सिर्फ एक मनगढ़ंत कहानी होती। अगर मुझे सिर्फ एक कहानी को शूट करना होता, तो मैं एक फ़िक्शनल कहानी पर ही काम कर लेती। लेकिन हम कोई बनी हुई कहानी शूट नहीं कर रहे थे। फिर मेरी तरफ से भी पूरी कोशिश थी कि जितना हो सके, जिस हद तक मुमकिन हो, मैं सच ही सामने रखूं।
एक ऐसा दौर आता है जब आप ट्रोल्स का सामना करते वक़्त टूट जाते हैं और बहुत रोते हैं, लेकिन असल जिंदगी में आप काफी मोटी चमड़ी की हो गयी हैं। यहां तक आने के लिए आपने क्या-क्या किया?
तो जब ऐसा हुआ था तब मैं 20 साल की थी, शायद। मैं बहुत छोटी थी। और यह पहली बार था जब मैंने एक अलग ही दर्जे की नफरत देखी जहां लोग बस आपको सुना रहे थे, "तुम भारतीय नहीं हो," "तुम औरत होने के नाम पर कलंक हो", "तुम हमारी संस्कृति का अपमान कर रही हो" और इतनी सारी अलग-अलग चीज़ें कही जा रहीं थी जिन्हें मैं कभी दोहराना नहीं चाहूंगी। लेकिन एक यंग एडल्ट होने के नाते आप पर इन दब चीज़ों का असर पड़ता है और यही वजह है कि मेरे पति डेनियल मेरे पास आये और बोले कि "बिग बॉस नाम का एक शो है। ये इंडिया में है। क्या तुम इसे करना चाहती हो?" मैंने कहा, "बिल्कुल नहीं। तुम पागल हो गए हो। मैं किसी हाल में ये शो नहीं करूंगी। और उस वक़्त मेरे साथ एक ऐसा लंबा दौर गुज़रा जब मैं डेनियल के पास जाती और काफी गुस्से में बात करती थी और वो मुझसे कहता था, "ठंड रखो, आराम करो। हम इसके बारे में बाद में बात करेंगे।" असल में वो काफी स्मार्ट है और जानता है कि क्या चीज़ें हैं जिन्हें करने में मुझे मज़ा आएगा। फिर चैनल वालों ने मुझे पूरी पीपीटी भेजी, स्टेटिस्टिक्स और रिसर्च वगैरह के साथ। तो मैंने इसे पढ़ना और गूगल करना शुरू कर दिया। फिर मैंने कंपनी और शो के बारे में रिसर्च की और इस तरह से आखिर में मैंने 'हां' कहा। उन सब चीजों से गुज़रना मुश्किल था और मैं दोबारा वो सब महसूस नहीं करना चाहती थी, वो भी इंडिया में! मैं क्यूँ दोबारा से उस नफरत का सामना करना चाहूंगी? लेकिन उस वक़्त तक मैंने खुद को तैयार कर लिया था।
आप और डैनियल आखिरकार अपने नए घर में पहुँच गए- मुंबई में आपका अपना घर। बधाई हो! बेशक, अब आपको तीन बच्चों के साथ और ज़्यादा कमरों की जरूरत है।।।
हम सिर्फ दो लोग थे मगर अब सात लोग नए घर में आये हैं- इसमें दो नैनी भी शामिल हैं। और अचानक से हमें महसूस हुआ कि हमारे पास बिल्कुल भी जगह नहीं है। हमें ऐसा नहीं लगता था कि हम एक छोटे से फ्लैट में रह रहे थे – वो एक अच्छा ख़ासा बड़ा फ्लैट था। लेकिन अचानक से हमारे बेडरूम में सामान के ढेर के ऊपर सामान दिखने लगा। तब हम बच्चों के लिए जगह बनाने के लिए दूसरी चीज़ों को अपने कमरे में रख रहे थे। और फिर बच्चे छोटे ऑफिस रूम में थे, साथ ही डैनियल का भी सारा सामान था। फिर निशा के कमरे में हमारा सामान था और उसकी सारी चीज़ें थी। हम पागल हो गए थे! मैंने आपको घर बदलने से पहले अपने लिविंग रूम की एक तस्वीर दिखाई थी। ये सब बहुत ही अजीब था – हर जगह खिलौने थे, हर जगह सामान था। हमें उस बिल्डिंग में रहना बहुत पसंद था क्यूंकि वे लोग बहुत अच्छे और बहुत प्यारे थे लेकिन हमें एहसास हुआ कि हमें निश्चित तौर पर एक बड़ी जगह चाहिए। और अब मेरे पास मेरा नया घर है और मैं बहुत खुश हूँ!
Adapted from English by Mahvish Razvi