फिल्मों में मुकाम हासिल करने के लिए अनुष्का शर्मा के 4 मंत्र

अभिनेत्री अनुष्का शर्मा  ने बताया कि किस तरह रिजेक्शन ने उनके फेवर में काम किया, किरदार में घुसने की कला और अभिनेता बनने की ख्वाहिश रखने वालों के लिए कुछ टिप्स
फिल्मों में मुकाम हासिल करने के लिए अनुष्का शर्मा के 4 मंत्र

अनुष्का शर्मा ने साल 2008 में रब ने बना दी जोड़ी (2008) से बॉलीवुड में क़दम रखा था जिसके लिए उन्हें फिल्मफेयर नॉमिनेशन भी मिला था, उसके बाद से अपनी हर फिल्म के साथ वो और ज़्यादा मज़बूत होती गयीं। 2014 में उन्होंने क्लीन स्लेट फिल्म्स के नाम से अपना खुद का प्रोडक्शन हाउस स्थापित कर लिया। आज हम अनुष्का के चार ऐसे मंत्र बताने जा रहे हैं जिन्होंने उन्हें अपनी कला को निखारने और रिजेक्शन झेलने में मदद की।

ऑडिशन देते रहिये

आपको सिर्फ ऑडिशन देते रहना है। ईमानदारी से बताऊँ तो मैंने बहुत ज़्यादा फिल्मों के लिए ऑडिशन नही दिया और मुझे इस बात की खुशी है। मैंने 3 इडियट्स के लिए ऑडिशन दिया था, जिसके लिए मुझे रिजेक्ट कर दिया गया था। मुझे नहीं लगता कि मैं फिल्मों से बहुत ज़्यादा जुड़ाव महसूस करती थी, इसलिए ये कोई ऎसी बात नहीं थी जिसे मैं अपने दिल से लगा लेती। मैंने सोचा नहीं था कि मैं इस दिशा में काम करूंगी, लेकिन क्यूंकि मुझे हर अवसर के लिए दरवाज़े खोलकर रखने के लिए कहा गया था, या कुछ वैसे ही बकवास बातें, मैं किसी भी तरह ये कर ही रही थी। तो मैंने शायद दो या तीन फिल्मों के लिए ऑडिशन दिये जिनमें लक बाय चांस भी शामिल थी।

ख़ुद को रिजेक्शन से कमज़ोर मत होने दीजिये

इसको (रिजेक्शन) दिल से मत लगाइए। आज मुझे महसूस होता है कि इन सब फिल्मों के लिए मेरा रिजेक्ट होना कितना ज़रूरी था। अगर मुझे वो सभी विज्ञापन मिल गए होते और मैंने उन्हें कर लिया होता जिनके लिए मुझे रिजेक्ट कर दिया गया था, मुझे पूरा भरोसा है कि आदित्य चोपड़ा ने मुझे मेरी पहली फिल्म में नहीं लिया होता क्यूंकि वो साफतौर पर एक ऐसी लड़की चाहते थे जिसे किसी ने ना देखा हो।

अपनी साँसों पर ध्यान दें

यह [सांस लेना] अभिनय का सबसे ज़रूरी हिस्सा है। यह एक ऐसा तरीका है जिससे आप उस भावना के अन्दर घुस सकते हैं जिसे आप महसूस करना चाहते हैं। जब आपको घबराया हुआ दिखना है, तो आप तेज़ साँसे लेना शुरू कर दें जिससे कि आप उसी तरह के जोश में आ जाएँ और फिर आपका शरीर भी वैसे ही प्रतिक्रिया देना शुरू कर देगा। इसी वजह से, फिल्लौरी में मेरे लिए जो सबसे ज़्यादा मुश्किल था वो ये कि मैं ज्यादातर वक़्त हार्नेस में थी इसलिए मैंने वो कपड़े पहन रखे थे, निश्चित तौर पर अपनी सुरक्षा के लिए लेकिन वो बहुत कसे हुए थे। इसलिए मैं ठीक से सांस नही ले पा रही थी। एक अभिनेता के रूप में आप अपनी साँसों पर क़ाबू रखना चाहते हैं जिससे आप किसी सीन को सही से दे सकें क्यूंकि हर सीन का एक ग्राफ है। मुझे कई बार ऐसा महसूस हुआ कि मैं ये नहीं कर पाऊँगी क्यूंकि मैं ठीक से सांस नहीं ले पा रही थी। मैं अपनी सांस पर क़ाबू नहीं रख पा रही थी जैसा मैं आमतौर पर कर लेती हूँ।

निराशा को हावी ना होने दें

जब तक मैं रब ने बन दी जोड़ी के ऑडिशन के लिए गयी, मुझे इस बात से फर्क़ ही नहीं पड़ता था। क्योंकि तब तक मैं ऑडिशन देकर ऊब चुकी थी, मैंने सोचा "भाड़ में जाए, कोई फर्क नहीं पड़ता अगर ये फिल्म मुझे न मिले।"  मैं सचमुच यही सोच कर गयी थी। मैं गेट तक पहुंची। उन्होंने मुझे बताया कि मेरा नाम लिखा जाएगा और वहां दे दिया जाएगा। मैं वहां गयी, मैंने कहा "अनुष्का शर्मा, मैं यश राज स्टूडियोज़ में ऑडिशन देने के लिए आयी हूँ," उन्होंने बताया कि लिस्ट में मेरा नाम नहीं है। मैंने कहा, ठीक है बाय! मैं चुपचाप चली गयी। मनीष शर्मा, जिन्होंने बैंड बाजा बारात का निर्देशन किया है उस वक़्त पर इस फिल्म के लिए असिस्टेंट डायरेक्टर थे। उसने मुझे बुलाया और बोला, "तुम्हें तो ऑडिशन के लिए आना था न।"  मैंने कहा हाँ, लेकिन आपके साथियों ने मुझे बताया कि लिस्ट में मेरा नाम नहीं है। उस वक़्त मुझमें कोई अहंकार नहीं था, मैं बस इस सब का सामना नहीं करना चाहती थी। मैं नहीं चाहती थी कि ये मेरे दिमाग पर चढ़े। मैं बहुत दूर नहीं गयी थी, इसलिए मैं वापस आ गयी। मैं बिना किसी उम्मीद के गयी थी। मुझे इस बात पर भरोसा है कि मुझे ये फिल्म इसीलिए मिली क्यूंकि मैं इसे पाने के लिए भूखी नहीं थी। इसीलिए सब मुझसे ऐसा कहते हैं। अगर आप किसी चीज़ को पाने के लिए बहुत ज़्यादा बेताब नहीं हैं तो आप चीज़ों को अलग तरह से करते हैं। तो मैं बिलकुल बेपरवाह होकर परफॉर्म कर रही थी और मुझे लगता है कि इससे मुझे बहुत मदद मिली।

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