
1. जब फ्रेम में कैद हो गया फरीदाबाद
"अगर इंटरवल से पहले वाले सीन को आप जूम इन करके देखेंगे तो पीछे बोर्ड पर फरीदाबाद लिखा नज़र आएगा। क्यों? मुझे भी नहीं पता। हम लोग फरीदाबाद गए ही नहीं थे। इस कॉलेज को शूट करने के लिए हम मॉरीशस में थे। मॉरीशस पहुंचकर मुझे साफ समझ में आया कि ये लोकेशन भी ठीक नहीं है। तो वह खास सीन (फिल्म का मशहूर बेंच सीन जहां शाहरूख खान और रानी मुखर्जी मिलकर काजोल को सांत्वना दे रहे हैं) मॉरीशस में भी शूट नहीं हुआ था, फरीदाबाद में तो शर्तिया तौर पर नहीं, ये दरअसल स्कॉटलैंड हैं। इस एक कॉलेज को कहानी के हिसाब से फरीदाबाद में होना था, और ये सीन पूरी दुनिया घूम आया बस फरीदाबाद नहीं गया।"
2. काजोल के कपड़े इतने बनावटी क्यों थे
"ये काजोल है, जो देखने में किसी फ्रूटकेक से कम नहीं लग रही। हम उसे बहुत तड़क भड़क के साथ दिखाना चाहते थे और उस समय दिखावटी दिखाने का हमारा यही नजरिया हुआ करता था। आज मैं देखता हूं तो तमाम लड़कियां मुझे ऐसे कपड़े पहने नज़र आ जाती हैं, लेकिन 90 के दशक में इस तरह के कपड़े मज़ाक बन जाते थे।"
3. बड़े लोगों के छोटे सीन, जिन पर लोगों की नज़र ही नहीं पड़ी
"ये सीक्वेंस मेरी मां (हीरू जौहर) के सीढ़ियों से उतरने के शॉट से शुरू होता है। उस दिन उन्होंने हरे और नीले रंग की सलवार कमीज़ पहन रखी थी। पहली नज़र में देखें तो लगता है जैसे कि वह उस दिन एयर इंडिया में काम कर रही थीं। इसके अलावा अगर सीढ़ियों पर बैठे 'छात्रों' को ध्यान से देखेंगे तो आपको वहां मनीष मल्होत्रा और फराह खान भी नज़र आ जाएंगे। ये दोनों सीढ़ियों पर स्टूडेंट्स बनकर बैठे थे। और, उस दिन मनीष का हेयर कट तो मैं कभी भूल ही नहीं सकता। पता नहीं किस स्टाइलिस्ट ने उसके ये अजीबोगरीब बाल बनाए थे।"
4. शाहरुख को परदे पर हंसना ही नहीं आता
"मुझे थोड़ी सी अंदरूनी जानकारी आपको शाह रुख खान के बारे में भी देनी होगी। मैंने जिन कलाकारों के साथ भी काम किया है, शाह रूख संभवत: उन सबमें सबसे बढ़िया एक्टर हैं और उनकी गिनती हमारे सबसे बड़े स्टार्स और बेस्ट एक्टर्स में भी होती है। लेकिन, अगर उनसे किसी सीन में हंसने को कहा जाए, तो ये उनसे नहीं होता। शाह रुख के लिए किसी सीन में स्वाभाविक रूप से हंसना बहुत मुश्किल है। तो हम टेक पर टेक लिए जा रहे थे और कोशिश कर रहे थे किसी तरह शाह रूख का ये हंसी वाला सीन हो जाए। आखिर तक पहुंचते पहुंचते हम सब इतना परेशान हो गए थे कि फिल्म में शाह रुख की जो हंसी है वो इसी हालत से निकली है। आप देखेंगे कि इस सीन में वह निराशा की सी हालत में अपना सिर दीवार से टकरा रहे हैं। ऐसा इसलिए कि उन्हें समझ ही नहीं आ रहा था कि पूरे भरोसे के साथ वह कैमरे के सामने कैसे हंसे।"
5. शाह रुख के रानी का हाथ पकड़ने वाले सीन पर दो घंटे बहस हुई
"मैं ये बताना चाहता हूं कि परदे पर और स्क्रिप्ट के हिसाब से भी, ये सिर्फ एक सीन था जिसमें शाह रुख आकर काजोल को समझाते हैं और तभी रानी भी आ जाती है, और इसके बाद तीनों के बीच एक ग्रुप हग टाइप की सिचुएशन थी और हमें आगे बढ़ जाना था। शूटिंग के वक़्त मेरे मन में एक अजीबोगरीब ख़्याल आया – कैसा रहेगा कि अगर शाह रुख काजोल को अपनी बाहों में ले और रानी दोनों को कुछ पल एकांत के देने की बात सोचकर वहां से जाना चाहे और तभी शाह रुख बांह फैलाकर रानी का हाथ पकड़ लेता है। बस इसी मसले पर हम लोग दो घंटे तक बहस करते रहे। सूरज की रोशनी जा रही थी और संतोष सिवन (सिनेमैटोग्राफर) को लग रहा था कि उनकी सारे किए कराए पर पानी फिर जाएगा। बहस इस बात को लेकर हो रही थी कि क्या शाह रुख का किरदार थोड़ा ज़्यादा ही दुष्ट नहीं लग रहा है? मेरे ख्याल से हमने इस मुद्दे पर कुछ ज्यादा ही विचार कर लिया क्योंकि जब सीन देखा गया तो किसी ने भी इस पर इतना विचार नहीं किया। लेकिन मुझे वह दो घंटे की बहस याद है क्योंकि मेरे पिता (यश जौहर) लगातार अपनी घड़ी देखे जा रहे थे और हम वहां घंटे के हिसाब से लोकेशन का किराया दे रहे थे। ये उन दिनों की बात है जब हमारे पास उतने पैसे नहीं हुआ करते थे। विदेश में शूटिंग करना तब बहुत बड़ी बात मानी जाती थी।"
6. परदे पर पिंक ही पिंक दिखने पर बहस
"मनीष मल्होत्रा और मेरे बीच इस बात को लेकर भी बहुत बहस हुई क्योंकि दोनों के कपड़े गुलाबी शेड्स लिए हुए थे और मैं चाहता था कि दोनों के कपड़े परस्पर विरोधी रंगों के हों। तब मेरे पिता आए और उन्होंने कहा, मुझे इस बात से कोई फ़र्क नहीं पड़ता कि इन्होंने क्या पहना है, बस शूटिंग पूरी करो।"
Adapted by Pankaj Shukla, Consulting Editor