हेलीकॉप्टर ईला मूवी रिव्यू- प्रदीप सरकार की एक सिंगल मदर की खुद को फिर से तलाशने की ये कोशिश बहुत घिसी पिटी और हल्की है

एक अधेड़ और मध्यमवर्गीय औरत की खुद को फिर से तलाशने और अपने बेटे से बाहर अपनी ज़िंदगी पाने की इस कहानी में काजोल और रिद्धि सेन मुख्य भूमिकाओं में हैं। फिल्म का विचार अच्छा है लेकिन इसको कहने का तरीका पूरी तरह से खोखला और तथ्यहीन है।
हेलीकॉप्टर ईला मूवी रिव्यू- प्रदीप सरकार की एक सिंगल मदर की खुद को फिर से तलाशने की ये कोशिश बहुत घिसी पिटी और हल्की है

निर्देशक – प्रदीप सरकार

कलाकार – काजोल, रिद्धि सेन, तोता रॉय चौधरी, नेहा धूपिया

आपको अंजली शर्मा याद है – कभी खुशी कभी ग़म में काजोल का निभाया किरदार…? वह बहुत ही नाटकीय है, तीखी है और देखने में ग़ज़ब की खूबसूरत। तो, अगर वह उम्रदराज़ हो जाए और एक अकेली मां बन जाए, तो वह हेलीकॉप्टर ईला की ईला होगी। श्रीमती रायचंद की तरह ईला की भी अपने बेटे के आसपास होने पर छठी इंद्रिय जाग जाती है। जैसे के-3-जी में शाहरुख खान के भीतर आने से पहले ही जया बच्चन दरवाज़े तक पहुंच जाती हैं, वैसे ही अपने बेटे विवान के कुंडी खटकाने से पहले ही ईला दरवाज़ा खोल देती है। लेकिन साल 2001 में जो बात मां के प्यार का सबसे बड़ा सबूत होती थी वह 2018 में पकाऊ बन जाती है। जैसा कि फिल्म का शीर्षक बताता है ईला हमेशा अपने बेटे के सिर पर मंडराने वाली अभिभावक है। वह अपने बेटे की ज़िंदगी के हर पहलू पर मंडराती दिखती है। जब वह प्राइवेसी की मांग करता है, तो वह पूछती है, "कैसी प्राइवेसी? तेरी चड्ढी बदली है मैंने।" मेलिसा मैककार्थी की फिल्म लाइफ ऑफ द पार्टी की तरह, ईला अपने बच्चे के साथ कॉलेज तक पहुंच जाती है और ये जैसाकि लाजमी है उसके दमघोंटू तरीकों को और बढ़ा देती है.

फिल्म आनंद गांधी के गुजराती नाटक बेटा कागदो पर आधारित है। आनंद ने फिल्म की पटकथा भी मितेश शाह के साथ मिलकर लिखी है। फिल्म के लेखक और निर्देशक प्रदीप सरकार एक ऐसी औरत की तस्वीर परदे पर उकेरना चाहते हैं जो अधेड़ है, मध्यवर्गीय परिवार से है और जिसे अपने बेटे की ज़िंदगी से बाहर अपने लम्हे पाने के लिए खुद को फिर से तलाशना ही है। यह विचार बहुत अच्छा है लेकिन इसको कहने का तरीका पूरी तरह से खोखला और तथ्यहीन है। कुछ बातें इसकी सच्ची भी लगती है – खासतौर से वह नाटकीय घटनाक्रम तो बिल्कुल नहीं जो ईला को सिंगल मदर बना देता है और उसके गायिकी के करियर को ख़त्म कर देता है।

हेलीकॉप्टर ईला में काजोल के पति अजय देवगन का पैसा लगा है और फिल्म उनकी पत्नी के लिए किसी वैनिटी प्रोजेक्ट से ज़्यादा लगती भी नहीं है। हर दृश्य में काजोल को सौ फीसदी परफेक्ट दिखाया गया है – फिर चाहे वह बिस्तर में हों या बच्चा पैदा होने के बाद अस्पताल में, उनके बाल और उनकी लिपस्टिक क्या मज़ाल जो इधर से उधर हो जाएं। बजाय इसके कि मैं ईला की कहानी से प्रभावित होती, जोकि अनगिनत भारतीय माताओं की कहानी है, मैं काजोल के प्यारे से कुर्तों में खोए हुए ये सोच रही थी कि वह अब भी वैसी ही खूबसूरत दिखती हैं जैसी कि के3जी में दिखती थीं। उनकी अदाकारी को हजम करना ज़्यादा मुश्किल रहा। काजोल इतनी इतनी ज्यादा उतावली है कि न वो पसंद आती हैं, न आकर्षक लगती और न ही उनसे कुछ मस्ती भरा करते बनता है। उनकी अदाकारी इतनी ज़्यादा फैली हुई है कि लगता वह स्क्रिप्ट की कमी को पूरा कर रही हैं।

आमतौर पर सतही लगने वाली इस फिल्म में राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता रिद्धि सेन थोड़ा वज़न लाते हैं। उनकी और काजोल की जोड़ी काम करती दिखती है। उनका रिश्ता भी काफी सहज लगता है। लेकिन फिल्म की पटकथा इतनी बचकानी है कि दोनों में संबंध बनता नहीं है। एक दृश्य में, विवान का पिता उसके लिए एक डायरी छोड़ जाता है। मां और बेटे के चेहरे पर दर्द भरा भाव आता है। हम डायरी का क्लोज़ अप भी देखते हैं और फिर ये हमें कभी दोबारा नहीं दिखती। आप बस ये सोचते रहे जाते हैं – ये क्या था, भई?

तोता रॉय चौधरी पिता के रोल में हैं और नेहा धूपिया बनी हैं कॉलेज की ड्रामा टीचर। मुझे समझ में ये आया कि जैसे रोनित रॉय अपनी हर फिल्म में बेटे को परेशान करने वाले बाप बनते जा रहे हैं, वैसे ही नेहा धूपिया के हिस्से बस हीरोइन को अपनी तलाश फिर से करने का ज्ञान देना ही बचा है। तुम्हारी सुलू में वह ये कर चुकी हैं और लस्ट स्टोरीज़ की करन जौहर वाली शॉर्ट फिल्म में भी। एक फ्लैशबैक हमें नब्बे के दशक में ले जाता है जब ईला गायक बनने की कोशिश कर रही हैं। हमें इला अरुण, बाबा सहगल और महेश भट्ट जैसे लोगों की झलकियां दिखती हैं, जवां दिखने के लिए बाल काले कराए। ये थोड़ा बेचैन कर जाता है।

फिल्म के एक दृश्य में, ईला अपने एक सहपाठी से, जो कि ज़ाहिर है उनकी आधी उम्र का है, खुद को 'ईला आंटी' की बजाय 'ईला' बुलाने को कहती हैं। ईला कहती है, 'आई एम वेरी मॉडर्न।' लेकिन फिल्म वैसी नहीं है, मॉडर्न। ये फिल्म बहुत घिसी पिटी और हल्की लगती है।

Adapted from English by Pankaj Shukla, Consulting Editor

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