सूरमा एक्टर दिलजीत दोसांझ बता रहे हैं बॉलीवुड में अपने भविष्य, उन्हें मिली शोहरत और सोशल मीडिया से अपने परिवार को दूर रखने के बारे में

क्या बॉलीवुड में आगे रिस्क लेने को तैयार है दिलजीत? फैशन को लेकर उनका बढ़िया टेस्ट और कैसे उनका फैशन बन चूका है पॉपुलर|
सूरमा एक्टर दिलजीत दोसांझ बता रहे हैं बॉलीवुड में अपने भविष्य, उन्हें मिली शोहरत और सोशल मीडिया से अपने परिवार को दूर रखने के बारे में

दिलजीत हम इसी कमरे में लगभग दो साल पहले मिले थे और इन दो सालों में आपका करियर एक ऊंचाई से दूसरी ऊंचाई पर पहुँच गया है। आपने कहा था कि मैं स्क्रीन पर वही कर सकता हूँ, जो मैं असल ज़िन्दगी में हूं। तो आप मान गये कि अब आप एक्टर हैं?

दिलजीत दोसांझ: मैं अपनी गलती मान गया, सच पूछे तो बन्दे को कोई भविष्वाणी नहीं करनी चाहिए, क्योंकि बन्दे के अपने हाथ कुछ होता नहीं है आप हर रोज़ ही सीखते हो, तो मैंने ये बात सीखी है कि आप हिम्मत और मेहनत कर सकते हो लेकिन भविष्यवाणी मत करो कि मैं सिर्फ ये कर सकता हूँ और मैं ये नहीं कर सकता। मुझे लगता है कि मुझे बोलना नहीं चाहिए ऐसा कि मैं ऐसा नहीं कर सकता या वो नहीं कर सकता। जो भी है आप कर रहे हो वो करने की क्या आप में उतनी एहमियत या औकात है? सब भगवान आपसे करवा रहा है।

दिलजीत जब आप अपनी परफॉरमेंस देखते हैं सूरमा जैसी फिल्म में,  ख़ासकर दूसरे भाग में जहां बहुत मुश्किल सीन्स थे,  आपको नहीं लगता है कि अच्छा काम किया मैंने?

दिलजीत दोसांझ: नहीं, मुझे तो पता ही है कि मैं एक्टिंग कर रहा हूँ। अच्छा नहीं किया, मैं इससे बेहतर और उससे भी बेहतर और कुछ शायद कर सकता था। आप कभी सोचते हो कि मैं अच्छा करूँगा लेकिन कई बात ऐसा होता है कि हालात ऐसे होते कि आप शूट करने जाते हो तब आसपास का माहौल कैसा होता है, आप कुछ अच्छा करना चाहते हो कई बार नहीं कर पाते हो। और कई बार अच्छी चीज़ निकल आती है, आपने उतना अच्छा सोचा भी नहीं होगा उसके बारे में।

तो आप कभी खुद को शाबाशी नहीं देते कि अच्छा आम किया मैंने?

दिलजीत दोसांझ: नहीं जी नहीं, अभी वो टाइम नहीं आया।

इन दो सालों में आप स्टाइल आइकॉन बन चुके हैं। जीक्यू मैगज़ीन आपके स्टाइल के बारे में इतने आर्टिकल्स लिख रही है, ये कब हो गया और कैसे हो गया?

दिलजीत दोसांझ: ये नहीं पता चला जी कब हो गया। मैं रसाला खरीदता था जीक्यू, मैं खुद उसका ग्राहक हूँ। मैं कभी उनका रसाला खरीदता था तो हम ऐसे सोचते थे कि कभी इसमें हमारी भी फोटो आएगी, सच में गयी। तो मैंने सीखा है कि बंदे को सही सही चीज़ सोचनी चाहिए। अपने लिए भी, दूसरों के लिए भी , तो फिर सही सही ही होगा।

लेकिन ये फैशन सेंस कहा से गयी? थी क्या हमेशा से?

दिलजीत दोसांझ: हां थी, पैसे नहीं थे! अभी भी करण जौहर जी जितने नहीं है मेरे पास, उनके पास बहुत फैशन है। पैसे के साथ ही आता है जी फैशन। वैसे सोच भी होती है। जैसे करण सर बहुत अच्छे से अपने कपड़ों को पहनते हैं और उनके पास पैसे भी हैं। तो हां ये कह सकते हैं।

आपने एक इंटरव्यू में कहा था कि मैं अच्छे काम का भूखा हूँ। लेकिन अच्छा काम बॉलीवुड ही नहीं है, अच्छा काम पंजाबी सिनेमा में भी है और मेरा म्यूजिक भी हो सकता है। तो क्या हिंदी सिनेमा की पावर और चकाचौंध से आप उसकी ओर आकर्षित नहीं होते हो?

दिलजीत दोसांझ: बॉलीवुड में इतना पैसा मैंने अभी कमाया नहीं जी। मैंने जो पैसा कमाया है थोड़ा बहुत वो अपने शोज से कमाया है और अपने म्यूजिक करियर से कमाया है, पंजाबी फ़िल्मों से कमाया है। बॉलीवुड में मैंने अभी कोई ऐसा पैसा कमाया नहीं क्योंकि बॉलीवुड में मैंने इतनी बड़ी हिट फिल्म दी ही नहीं। तो इतना बड़ा आर्टिस्ट मैं हूँ नहीं। अगर ऐसा हुआ तो मुझे लगेगा शायद मैंने कुछ किया है। लेकिन काम उससे भी ज़्यादा ज़रूरी है। पैसे देकर आप किसी को ले लो और उसका मन ही लगे वहां पर, तो वो मुझे नहीं करना। उस चीज़ से मैं डरता हूँ। मैं कहीं जाकर साइड एक्टर नहीं बनना चाहता। मैं जितना करना चाहता हूँ अपना ही करना चाहता हूँ, चाहे थोड़ा हो।

तो आपने खाई (खराब फ़िल्मों) में छलांग क्यों मारी?

दिलजीत दोसांझ: कई बार ना जी, आप पर लोगों के एहसान होते हैं। तो जिनके एहसान होते हैं उनको आप फिर मना नहीं कर सकते। क्योंकि उन लोगों ने ज़िन्दगी में चाहते, ना चाहते हुए आपके रस्ते में आपकी मदद की है। उनको फिर मना नहीं कर सकते आप। लेकिन मैंने ये भी सीखा है कि (इंडस्ट्री में) जो चलता है उसी को काम मिलता है। ज़रूरी नहीं है कि आपने दूसरे पर एहसान किया है तो

दिलजीत आपके कोई सलाहकार हैं हिंदी सिनेमा के लिए? कौन सी स्क्रिप्ट अच्छी है, क्या बुरी है क्या आप किसी से पूछते हैं? आप अपनी फ़िल्में कैसे चुनते हैं?

दिलजीत दोसांझ: बस जो दिल को ठीक लगे। जिसके पास सलाहकार हो अच्छी बात है, जिसके पास नहीं है। चलते चलो ऐसे ही बनता जायेगा रास्ता।

अब अगला क्या है? हिंदी सिनेमा में आप क्या करना पसंद करेंगे?

दिलजीत दोसांझ: कुछ भी जी, जो ठीक लगे और जो प्यार मोहब्बत से करवा ले। मैंने देखा है कई बार सेट पर लोगों को फालतू में लोगों पर चिल्लाते हुए, मतलब ज़रूरत होती नहीं है। कई बार लोग माइक पर चिल्लाते हैं। तो आर्टिस्ट का और मेरा भी मन दुखी हो जाता है। मैं ये सब नहीं झेल सकता। अगर कोई मुझे बोले ऐसे, तो मैं भी कह दूंगा चल एत्ठो मर। तो प्यार मोहब्बत से जो करवा लेगा जी, हम उसके साथ काम कर लेंगे।

अब बतौर एक्टर आप ज़्यादा रिस्क लेने के बारे में सोच रहे हैं? फिल्म 'सूरमा' के बाद क्या आप कुछ अलग करने को तैयार हैं? अब वो डर नहीं है कि जो मेरी जिंदगी का अनुभव है वहीं करना है? आपने कहा था कि मैंने बिज़नसमैन नहीं प्ले कर सकता क्यूंकि वो मैंने ज़िन्दगी में अनुभव ही नहीं किया। लेकिन आप हाई एंड गड्डियां गाने में तो प्राइवेट प्लेन से उतर रहे हैं।

दिलजीत दोसांझ: हे भगवान! मुझे इस बात का बेहद अफ़सोस है। वो जो प्राइवेट प्लेन का चक्कर था, वो मेरी पंजाबी फिल्म शूट हो रही थी। तो वहां फ्लाइट नहीं जाती, जहां मेरा शूट हो रहा था। तो मेरे प्रोड्यूसर्स ने फ्लाइट करके दी मुझे। मेरी फिल्म शुरू हो रही थी, तो मैंने फ्लाइट में बैठकर अंग्रेजी में लिखा 'प्राइवेट जेट के साथ नयी शुरुआत' जब मैं वहां पहुंचा तब न्यूज़ गयी थी कि दलजीत ने जहाज ले लिया। मैंने कहा लो कर लो बात। वो बात दो दिन में इतनी फ़ैल गयी कि सबको लगा मैंने जहाज ही ले लिया। मैंने सोचा कि मैं किसको बताऊ कि मैंने जहाज नहीं लिया। फिर लोग बोलेंगे कि इसने प्रमोशन के लिए ऐसा किया है। मैंने सोचा कि चुप ही रहते हैं। फिर मैंने पूछा जहाजवालों से कि मुझे बताओ ये आता कितने का है, रौड़ा तो इतना पै गया है। फिर उसने मुझे बताया कि जहाज लेना कोई ओक्खी बात नहीं है, आपको एक बार पैसा खर्चना है जहाज लेने के लिए, उसके बाद जहाज कंपनीवालों को दे देना है। फिर जब चाहिए जहाज जायेगा। तो आपको फ्री मिलेगा जहाज एक्को बारी पैसा खर्चना है। मैंने सोचा कि इन्ना रौड़ा पै गया है, इन्नी बेज़्ज़ती हो गयी, कदे लाइफच खरीदना ही पै जाये। पता तो होना चहिये जहाज किन्ने दा हौंदा है।

मेरे सीए ने मुझे कॉल कर पूछा, सर पायलट की कितनी तनख्वा रखी है और आप कहा खड़ा कर रहे हो जहाज। मैं कहा मैं चेक तुम्हें पूछकर काटता हूँ भाई 5000 का, भाई उसमें टीडीएस तो नहीं कटेगा। तो मैं जहाज थोड़ी लूँगा। तो मैंने खुंदक खुंदक में विडियो में ले लिया। मैंने कहा चलो वीडियोस ता लेंगे। (जहाज की) पूरी फीलिंग ली मैंने।

दिलजीत आप ये बताओ ये जो विडियोज होते हैं इनमें जो कहानियां प्ले होती हैं, आपने वो स्पेनिश गाना किया था। वो बिल्कुल गैंगस्टर माफ़िया, फिर हाई एंड गड्डियां में ये प्राइवेट जहाज, ये क्या आपकी इच्छाएं हैं?

दिलजीत दोसांझ: हांजी ये मेरी इच्छाएं हैं। वो जो स्पेनिश वाला आपने बोला वो मेरे पैसे खराब किये उस सीरीज ने, पीकी ब्लाइंडर्स। वो नेटफ्लिक्स पर है। वो पीकी ब्लाइंडर्स जो सीरीज है मुझे बहुत अच्छी लगती है, मैं कुछ वैसा बनाना चाहता था। तो वहां मेरे पैसे खराब हुए। खराब मतलब ज़रूरत नहीं थी। पंजाबी गाने को इतनी बड़ी विडियो की ज़रूरत नहीं थी। क्योंकि इतने पैसे उनसे नहीं रहे हैं। ना कोई उन्हें खरीदता है, ना सीडी बिकती , सिर्फ यूट्यूब पर हिट्स हैं, ना कोई रॉयल्टी आती है कहीं से। तो पंजाबी गाने की इतनी बड़ी विडियो बिज़नस के तरीके से सही नहीं है।

वैसे स्पेनिश क्यूँ?

दिलजीत दोसांझ: वो भी पंगा है जी, मैं तेनु दस देना। गाणा हिट हुआ सी डेस्पसीटो। तो ऐन्वई सुनते सुनते स्पेनिश भा गयी, मैं कया जी स्पेनिश पा दो। तो ये सारा जो तामझाम है, ये सब मन की बात है। शौक गया बस।

अब आप मुझे एक और शौक के बारे में बताएं। पिछले महीने मैं बादशाह से मिली थी वो मुझे बता रहे थे कि आप जो स्नीकर्स पहन रहे हैं, वो सब लाखों की स्नीकर्स हैं, बलेनसिएज की जो जैकेट्स हैं, घड़ियां इतनी महंगी हो गयी है कि परिवार से प्राइस को लेकर झूठ बोलना पड़ता है। तो ये पंजाबी स्टार्स जो हैं, ये शॉपिंग का क्या एडिक्शन है?

दिलजीत दोसांझ: प्राइस टैग तो घर जा ही नहीं सकता। और जेड़ी या चाम्कुली शर्ट है, ये मेरी मम्मी मेनू पौड़ वी ना दवे, आज जे मैं पाई फिरदा गूची पडूची। सोचने वाली बात है कि इसमें क्या लगा है। बात सही है बादशाह पाजी की। (शॉपिंग एडिक्शन) ऐन्वई बस, अगर आप हमारा बैंक बैलेंस देखें तो जीरो है। यहां के अच्छे बन्दों से हमारा बैंक बैलेंस जीरो है। कपड़ोंकुप्ड़ों पे ही है बस, कपड़े ले लो, घड़ियां ले लो। व्खावा ही है जी। बैंक बैलेंस थोड़ी है साड्डा। शौक है बस। मैं अपने आप को रोकता नहीं मेरे में बस एक कपड़े का और खाने का शौक है बस।

दिलजीत आपकी जो इन्स्टाग्राम और स्नेपचैट है, उससे मुझे पूरी आपकी लाइफ के बारे में पता है। तो आपकी लाइफ एक बिल्कुल खुली किताब है। आप शर्माते नहीं, आप सब कुछ ही डॉक्यूमेंट करते हैं। इतना ओपन है लेकिन फिर भी हमें आपके परिवार के बारे में नहीं पता। आपने अपनी मम्मी के बारे में इंटरव्यू में बात की लेकिन उन्हें भी दिखाते नहीं हैं। ऐसा क्यों हैं?

मैं जी, लाइफ में आलोचना बहुत सही है पहले। मैं एक ऐसा आर्टिस्ट था पंजाबी, जिसके घर के बाहर विरोध हुआ था किसी गाने को लेकर। दो साल गाना हिट रहा, बहुत लोग नाचते रहे, उसके बाद विरोध हुआ। उसके बाद बहुत लोगों ने कई कुछ करने की कोशिश की मेरी लाइफ में, करियर में। शायद लोगों को लगता था कि मैं उनका बिज़नस खा रहा हूं। मैं समझता हूँ बहुत लोगों के साथ होता भी है, कुछ बड़े आर्टिस्ट के साथ हुआ भी है मैं जनता हूं। मुझे याद है कि जब विरोध की बात आई मेरे घर के बाहर। तो वो दिन मुझे भूलता नहीं क्योंकि मैंने अपनी मम्मी को बोला कि आप मामा जी के घर चले जाओ। कल मैंने सुना है ऐसे होने वाला है, तो जो भी है गलती तो मेरी है। लेकिन मेरी मम्मी का मेरे मामा जी के घर जाना मुझे इतना दुखा।। मेरी पहली एल्बम आई तब मैं 18 साल का था और आज मैं 33-34 साल का हूँ। इसमें गलतियां हो जाती हैं, कई बार आदमी सही विषय नहीं चुनता है। मैं उसको भी मानता हूँ। लेकिन उसमें परिवार की गलती नहीं है, वो मेरा निर्णय है। आप मुझे गाली दो, मुझे अच्छा बोलो बुरा बोलो, लेकिन मेरे परिवार को नहीं। उस वक़्त मुझे बर्बाद करने की काफी कोशिश हुई थी। तो तब मैंने निर्णय लिया कि परिवार को कभी आंच नहीं आने दूंगा। मेरे परिवार को देखकर कोई कुछ कहे ना, मुझे जो करना है करो। तो इसलिए मैंने अपने परिवार के बारे में ना ज़्यादा कभी बात की, ना किसी को कुछ बताता हूँ, ना ही मैं फोटो उनकी डालता हूँ और ना ही उनको कोई शौक है। अगर मैं भी इस बिज़नस में ना होता तो ये एप्स डिलीट कर देता। मैं इसलिए सोशल मीडिया का इस्तेमाल करता हूँ ताकि मैं लोगों के बीच बना रहूँ। क्योंकि मेरा कोई गॉडफादर नहीं है। मैं यही से बना हूँ और यही पर हूँ।

तो और क्या क्या करना है? अब तो आप मैडम तुसाद में भी पहुँच गये। कैसा लगा आपको?

दिलजीत दोसांझ: हे भगवान! सच्ची वो कल आये थे, उन्होंने लिया मेरा नाप। मैं सोच रहा था कि जब गाँव में हम दर्जी से कपड़े सिलवाते थे तो वो पैंट नहीं देता था महिना महिना। जब वो (मैडम तुसाद) मेरा नाप ले रहे थे ना तो मुझे वहीं याद रहा था। मैंने सोचा कि भगवान पता नहीं क्या करवाना चाहता है।

तो अब आगे क्या करना है? आपने कहा था कि अंग्रेजी सीखकर हॉलीवुड में फिल्म करनी है। और क्या करना है?

दिलजीत दोसांझ: यही करना है जी, अंग्रेजी सीखनी है और हॉलीवुड में फिल्म करनी है। हॉलीवुड के लिए अंग्रेजी ज़रूरी है। जैसे आप पंजाबी आओ तो पंजाबी बोलनी पेड़ीं हैं, इत्थे आओ तो हिंदी बोलनी पेड़ीं हैं, उत्थे जाओ तो अंग्रेजी बोलनी पेड़ीं, तो इसलिए तब सीखनी पड़ेगी मुझे अंग्रेजी। वैसे मुझे कोई चाह नहीं है।

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