कॉमेडियंस तनमय भट्ट, अबीश मैथ्यू, और बिस्व कल्याण रथ ने साझा की अपने काम से जुड़ी कुछ राज़ की बातें

अबीश मैथ्यू, तन्मय भट्ट, और बिस्व कल्याण रथ ने बताया कि वो आने वाले कॉमेडियंस को क्या सलाह देना चाहते हैं।
कॉमेडियंस तनमय भट्ट, अबीश मैथ्यू, और बिस्व कल्याण रथ  ने साझा की अपने काम से जुड़ी कुछ राज़ की बातें

अबीश मैथ्यू, सुमुखी सुरेश, केनी सेबेस्टियन, तन्मय भट्ट, बिस्व कल्याण रथ और कनीज़ सुरका, इन सभी ने कॉमेडी की दुनिया में कई साल गुज़ारे हैं। इन्होंने काम को और बेहतर करने, स्केच बनाने, वेब सीरीज़ में स्टैंडअप करने जैसा हर काम किया है। अमेज़न प्राइम पर शुरू हो रहे कॉमेडी टैलेंट शो कॉमिकस्तान में हम उन्हें आने वाले कॉमिक्स के लिए जज और मेंटर की भूमिका निभाते देखेंगे। यहाँ हाज़िर हैं उनके काम से जुड़े कुछ राज़।

बिस्व कल्याण रथ

मैंने गौर किया है कि जब आप एक ओपन- माइक कलाकार की तरह छोटे शोज़ कर रहे होते हैं, यही वो वक़्त है जब आप अपनी कॉमेडी का भरपूर आनंद ले पाते हैं क्यूँकि आप रिस्क ले रहे हैं और आपको असफल होने का कोई डर नहीं है। जब आप थोड़े बड़े हो जाते हैं, तो आप जो भी शो करते हैं वो इतनी ज़्यादा ज़िम्मेदारी के साथ आता है। आप एक कॉलेज में गए हैं- उनका फेस्ट अच्छा ही होना चाहिए। आप एक कॉर्पोरेट शो में गए हैं- आपको उन्हें एक अच्छा शो देना ही होगा। मुझे लगता है कि लोकप्रिय और मशहूर और अमीर बनने की इच्छा रखने के बजाय, आपको अपनी कला का आनंद लेना सीखना चाहिए और आपको समझना होगा कि मंज़िल नहीं बल्कि आपकी राह ज़्यादा ज़रूरी है।

तनमय भट्ट

आपके नज़रिये से टिकट नहीं बिकता और न ही ये आपको लोकप्रिय नहीं बनाता है। एक बहुत मज़बूत आवाज़ आपको लोकप्रिय बनाती है फिर चाहे वो कोई भी ऑडियंस हो। थोड़ा काम करें लेकिन कड़ी मेहनत से करें। बहुत बड़े काम या बहुत ज़्यादा लोगों तक पहुँचने की कोशिश मत करो। मुझे लगता है कि बहुत से युवा कॉमेडियंस बहुत से लोगों के बीच लोकप्रिय होना चाहते हैं लेकिन इस तरह से आप आगे नहीं बढ़ पाते। आपको एक छोटा सा दर्शकवर्ग तैयार करना होगा जो आपको प्यार करता हो और वो आपको ख़ुद ही आगे बढ़ाते चले जाएंगे। "

अबीश मैथ्यू

मैं हमेशा घबराया रहता हूँ। मैं हमेशा लाउड रहता हूं और मैं हमेशा मुस्कुराता रहता हूं क्योंकि मैं हमेशा घबराया हुआ रहता हूँ। अमेरिका में, जब हम अटलांटा में एक शो कर रहे थे, मैं बैकस्टेज खड़ा था और मैं बहुत घबराया हुआ था क्योंकि वह एक नॉन-इंडियन ऑडियंस थी। पहली बार मुझे एहसास हुआ , "तुम यह क्यों कर रहे हो? तुमको ऐसा करने की ज़रूरत नहीं है।" और फिर मैं स्टेज पर गया और मैं सोचने लगा, " मुझे स्टेज से जाने की क्या ज़रुरत है?  मैं यहां और आधे घंटे तक रहना चाहता हूं।"

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