अनुष्का शर्मा ने बताया कि क्यूँ वरुण धवन बॉलीवुड में बराबर फ़ीस के लिए आवाज़ उठाने का नेतृत्व कर सकते हैं

सुई धागा की अभिनेत्री ने कहा कि उन्होंने अब तक वरुण जितने सुदृढ़ अभिनेता के साथ काम नहीं किया है
अनुष्का शर्मा ने बताया कि क्यूँ वरुण धवन बॉलीवुड में बराबर फ़ीस के लिए आवाज़ उठाने का नेतृत्व कर सकते हैं

2015 में, अनुष्का शर्मा के साथ एक साक्षात्कार में, मैंने उनसे फिल्म इंडस्ट्री में महिलाओं की स्थिति के बारे में पूछा था। उन्होंने महिलाओं के सामने आने वाले अलग-अलग मुद्दों के बारे में लंबी बात की- बराबर फीस के साथ-साथ एक तय उम्र के बाद काम ना मिलने के बारे में। उन्होंने कहा, "लड़कियों से सिर्फ इतनी उम्मीद रखी जाती है कि वो इतनी खूबसूरत और स्मार्ट तो लगें ही कि एक लड़के को पसंद आ जाएं।" अनुष्का ने ये भी बताया कि यह समस्या इतने अंदरूनी स्तर पर पहुँच हो गई है कि आउटडोर शूटिंग पर मेल एक्टर्स को अपनी फीमेल कोस्टार्स की तुलना में बेहतर कमरे भी मुहैय्या कराये जाते हैं। अब, तीन साल बाद, वह मुझे बता रही हैं कि उस बातचीत के बाद से अबतक चीज़ें कितनी बदली हैं और क्यों उनके 'सुई धागा' के सह-कलाकार वरुण धवन चीज़ों को बदलने वाले शख्स हो सकते हैं।

अनुष्का, 2015 में, जब हमने बातचीत की थी तब आपने बड़ी बेबाकी से इंडस्ट्री में सेक्सिज़्म पर और बराबर फीस के बारे में बात की थी, कैसे बाहर शूटिंग करते वक़्त हीरो-हीरोइन को एक ही होटल में समान स्तर के कमरे भी नहीं दिए जाते हैं। उस इंटरव्यू के बाद से, बहुत कुछ हुआ है। क्या आपको लगता है कि टाइम्ज़ अप, मी टू  और सिनेमा में महिलाओं की भागीदारी खासकर केरल में, इससे हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में ज़मीनी स्तर पर असलियत में कुछ भी बदला है?

अनुष्का शर्मा: मुझे लगता है कि आमतौर पर हमारी फ़िल्म इंडस्ट्री चीज़ों को तथ्यों के नज़रिये से देखती है, जिसपर हमारा बिज़नस भी निर्भर करता है। लोग कहते हैं "इस फिल्म से इतना बिज़नस होगा क्योंकि इसमें यह-यह लोग काम कर रहे हैं और इस तरह की दूसरी फिल्मों ने इतनी कमायी की है।" इतना गुणा-भाग किया जाता है और आपको बता दिया जता है कि इस फिल्म का लगभग इतना बजट होगा। असल में जो चीज़ बदलती है वो हैं ऑडियंस। वो सचमुच चीज़ें बदल देते हैं और फिर कुछ नया होता है, और फिर इंडस्ट्री उसी रास्ते को फॉलो करती है। यह हमेशा से इस ही तरह होता रहा है। जो इस साल भी हुआ है, अगर हेरोइंस की मुख्य भूमिका वाली फिल्में देखेंगे तो आपको पता चलेगा, उन्होंने कुछ बेहतरीन नंबरों में कमायी की है।

वरुण धवन: अभिनेत्रियां, महिला निर्माता,महिला निर्देशक।

अनुष्का: ऐसा कहकर, आपको यह समझने की जरूरत है कि इंडस्ट्री लोगों की पसंद को तवज्जो दे रही है और उसे फॉलो कर रही है। आने वाले दिनों में आप देखेंगे कि कितनी फिल्में अभिनेत्रियों के मज़बूत किरदारों के साथ आएंगी। मुझे याद है कि ठीक उसके बाद (एनएच 10) मुझे कितनी फिल्में ऑफर की गयी थी। इंडस्ट्री के बड़े-बड़े निर्माता उस तरह की फिल्में बनाना चाहते हैं। उन्हें इस बात का एहसास है। लेकिन अब वक़्त है कि ये ज़रूर हो।

क्या बदलाव हुआ है?  हाँ चीज़ें बदली हैं क्यूंकि हमने देखा है कि इस साल क्या हुआ है। लेकिन हमारी बिरादरी को इस बात की तरफ ख़ास ध्यान देना होगा, अभी इस ट्रेंड को नॉर्मल करने के लिए ऐसे कितने ही सालों की ज़रुरत है। क्योंकि लोग ये समझ नहीं पा रहे हैं कि बहुत सी ऎसी चीज़ें हैं जिनका योगदान वो एक पुरुष अभिनेता की फिल्म में करते हैं। लोग कहते हैं, "इस हीरो का ना इतना फिल्म इतना ओपन किया था"। आप ये नहीं समझते कि उस फिल्म में एक अभिनेत्री भी मुख्य भूमिका में है, सबसे ज़्यादा कमाई करने वाली अभिनेत्री है, आप फिल्म में उसके बारे में बात नहीं करते हैं। आप इस तथ्य के बारे में बात नहीं करते कि फिल्म में इतने सारे गाने हैं जिनका आपने प्रचार किया है। फीमेल एक्टर्स ने हमेशा ही ज़्यादातर फिल्में बिना गानों के की हैं और बिना किसी टॉप अभिनेता के।

मेरे हिसाब ये एक ऎसी चीज़ है जो बहुत ही अनुचित रही है –जहाँ आप एक लड़की को बिलकुल भी श्रेय नहीं देते हैं। फिल्म की सफलता का श्रेय सिर्फ लड़कों को दे दिया जाता है और आप कहते हैं कि उस लड़के की फिल्म कितना बिज़नस कर रही है। मुझे लगता है कि इसी वजह से लड़कियों ने इसके बारे में बात करना शुरू कर दी। इस मैदान में ईमानदारी की ज़रुरत है। लेकिन इसके लिए आपको इस तरह के ज़्यादा बदलावों की करने होंगे, बहुत स्पष्ट बदला। यह सिर्फ ऐसे नहीं हो सकता, "सही से काम करो यार!" यह इस तरह होगा कि "मैं आपको करके दिखाती हूँ अब आप इसे ऐसे करो।"

वरुण: अक्टूबर की रिलीज़ के वक़्त जब हम प्रमोशन के लिए गए।।। तो ज़ाहिर है कि बनिता को कोई नहीं पहचानता और ऎसी कई जगहें थीं जहां हम गए और उन्होंने कहा, "नहीं, यह नहीं आ सकती।"

क्योंकि वह कुछ भी नया नहीं करती हैं?

वरुण: हाँ, दर्शक उसे जानते नहीं हैं। तो मैंने कहा, "यह क्या कारण हुआ? वह फिल्म की हीरोइन है, वह मुख्य किरदारों में से एक है। उसे यहां रहना होगा – वह फिल्म को रिप्रेजेंट कर रही है।" यहां तक कि दादा (शूजीत सरकर, निर्देशक) की कंपनी और सभी ने कहा," नहीं, प्लीज ऐसे मत कीजिये।" लेकिन उन्होंने हमारी एक नहीं सुनी। मुझे सचमुच ये कहना पड़ा कि, "अगर वह नहीं आती है तो मैं भी शो में नहीं आऊंगा।" उन्हें ये बात महसूस करवाने के लिए इतनी मेहनत लगती है। मेरे पास इसके बारे में 'वीर दी वेडिंग' से जुड़े किस्से हैं – रिया कपूर जो इस फिल्म की निर्माता हैं और मेरी बहुत अच्छी दोस्त हैं, उन्होंने फिल्म को बहुत अच्छी, अपना मुकाम बना चुकी नामवर हिरोइन्स के साथ सिर्फ लड़कियों को लेकर एक फिल्म बनायी है। उसने मुझे बताया कि फिल्म प्रमोशन के दौरान उसे कितनी परेशानियों का सामना करना पड़ा, जो वो चाहती थी वह स्क्रीन स्पेस पाने में क्या दिक्कतें हुईं और उसने मुझे और भी बहुत सी बातें बताईं।

अनुष्का: और फिर आप उन्हें गलत साबित करते हैं। और फिर विवाद कुछ इस तरह होता है कि "अच्छा!" डिस्ट्रीब्यूटर भी सोच रहे हैं, दूसरे निर्माता भी सोच रहे हैं।

वरुण: आलिया की सफलता को ही देख लीजीये। राज़ी एक बड़ी ब्लॉकबस्टर बन गयी है। उसने बहुत अच्छा काम किया और यह शानदार है। लेकिन वो एक बड़ी स्टार है, इंडस्ट्री को ये बात समझने के लिए राज़ी तक पहुँचने का वक़्त क्यूँ लगा? बद्री और हम्प्टी और 2 स्टेट्स और ये सभी फिल्में बराबरी से उसकी भी हिट हैं। मैं उससे हमेशा कहता हूँ, "अपनी फीस बढ़ाओ।"

अनुष्का: लेकिन लोगों को देना भी तो चाहिए ना।

वरुण:  मुझे लगता है अब वो देंगे, उन्हें देना ही होगा। वो मेरी दोस्त है तो अगर वो मुझसे कहेगी कि "वरुण चलो अब ये करना चाहिए", तो मैं उसके लिए खड़ा रहूंगा। लेकिन मुझे लगता है, वो थोड़ी सी निडरता अब आना शुरू हो गयी है, उन सभी लड़कियों में जिनके साथ मैंने काम कर रहा हूँ। अब आपको बेख़ौफ़ होना ही पड़ेगा।  

अनुष्का: यह सही शब्द है। आपको बेख़ौफ़ होना पड़ेगा। निडर बने रहिये लेकिन अपनी गरिमा के साथ काम करें। आप कहते हैं, "जो आप कर रहे हैं ये ठीक नहीं है, इसलिए मेरी ना है।" लेकिन दिक्कत यह है कि अगर कोई ना कहता है, तो कोई दूसरा कहेगा, "मैं ऐसा करने के लिए तैयार हूं।" थोड़ी सी एकता भी होनी चाहिए, वरना ये उस तरीके से बदलने वाला नहीं है जिस तरह से हमें इसे बदलना चाहते हैं। मी टू इसलिए सफल हुआ है क्योंकि उस मुहिम में सब एकसाथ थे। वे सब एक साथ आगे आये और कहा, "यह ठीक नहीं है और ऐसा नहीं होना चाहिए और हम इसे और नहीं सहने वाले हैं।"

'पैसेंजर' फिल्म में जेनिफर लॉरेंस को अपने हक के पैसे मांगने पड़े और ये कहना पड़ा  मुझे अपने पुरुष सहयोगियों की तुलना में ज़्यादा पैसा या उनके बराबर पैसा चाहिए क्योंकि मैं भी उतना ही काम कर रही हूँ ।" उन्हें एक चिट्ठी लिखकर ये बात समझानी पड़ी! इस बात को पहले कभी ऐसे नहीं समझा गया था। आपको कहना पड़ेगा, आपको अपनी बात रखनी पड़ेगी। मैं समझ सकती हूं – मैं यह नहीं कह रही हूं, "आप मुझे उतना ही पैसा दीजिये जितना आप खान लोगों को दे रहे हैं क्यूंकि वो यहाँ पर लम्बे अरसे से हैं, लेकिन आप ये नहीं सोच सकते कि मेरे साथ के पुरुष कलाकारों और मेरे बीच इतनी असमानता होनी चाहिए सिर्फ इसलिए क्यूंकि मैं एक औरत हूँ।  और आज के वक़्त में, महिलाओं के लिए भी अलग तरह की भूमिकाएं लिखी जा रही हैं। ऐसा नहीं है कि आप बस कुछ देर के लिए काम कर रहे हों।

वरुण: हाँ भूमिकाएं बढ़ी हैं। मैं सुल्तान में तुम्हारा किरदार देखकर हैरान रह गया था। यह सलमान खान की कुछ चुनिन्दा फिल्मों में से एक है जिसमें बहुत ही ढंग से बुनी गयी और भरोसेमंद हीरोइन है।

वरुण: कलंक के सेट पर माधुरी दीक्षित के साथ मेरी एक बहुत मज़ेदार बातचीत हुई मैंने उनसे पूछा, "अब आपको हीरोइनों के किरदारों में क्या बदलाव नज़र आता है?" और उन्होंने कहा, "मुझे बहुत बड़ा अंतर नज़र आता है।" मुझे लगता है कि इतने सालों के बाद भी लोग उन्हें और कई दूसरी अभिनेत्रियों को पसंद करते है, क्योंकि वे यहाँ पर लम्बे वक़्त से काम कर रही हैं, वो जानती हैं कि हक के पैसे गरिमा के साथ किस तरह कमाते हैं।

अनुष्का: मैं आपको बता दूं कि मुझे सच में लगता है कि अगर ऐसा कुछ होता है तो इससे लड़कों के ऊपर से दबाव बहुत हद तक कम हो।

वरुण: मैं बस यह कहने वाला था कि लड़कों को इससे डरना नहीं चाहिए।

अनुष्का: उन्हें सोचना चाहिए कि अगर ऐसा होता है तो ये हकीकत में उन्हें और उनकी ज़िन्दगी को बदल कर रख देगा क्योंकि उनके ऊपर इतना ज़्यादा दबाव होता है। हम सिर्फ कह रहे हैं कि, "हम बराबर हैं और अब हम यह कर रहे हैं" और फिर आप इसके बीच में इस तरह से पैसे का बंटवारा करते हैं। लेकिन इसके लिए नामी निर्माताओं को इस तरह सोचना होगा।

लेकिन अभिनेताओं को भी इस तरह सोचना पड़ेगा, है ना?

वरुण: बात यह है कि वे (पुरुष अभिनेता) सोचते हैं कि, "मैं स्टार हूं और मैं पोस्टर पर हूं।" वो ये सोचते हैं कि आप अभिनेत्री को पोस्टर पर किस अपील के लिए रखना चाहते हैं। लेकिन अभिनेत्री फिल्म के लिए इतना कुछ करती है – वह एक्टिंग करती है, उसकी अपनी फैन फॉलोइंग है। आप इसके बारे में सतही स्तर पर सोचें, मैं बस इतना कह रहा हूंयह बहुत बड़ा बोनस है! इससे हर किसी को फायदा होने वाला है, इससे फिल्म को मदद मिलेगी। फिल्म इंडस्ट्री में जितने ज़्यादा स्टार्स होंगे, आपको उतने ही अच्छे विषय मिलेंगे, इससे फिल्म को मदद मिलेगी। मैं एक कलाकार के तौर पर बहुत स्वार्थी हूं क्यूंकि मैं कोई फिल्म तभी करूंगा जब मेरा रोल अच्छा होगा। आप मुझसे किसी के भी साथ काम करवा सकते हैं, मैं ज़रूर करूँगा ।।।

अनुष्का: आपको पता है, मैंने अब तक वरुण के जितने सुदृढ़ अभिनेता के साथ काम नहीं किया है। सबसे पहले बात, वह ईमानदार है। उस वक़्त उसने जो भी कहा वह सच है। और वह एक ऐसा शख्स है जो सिर्फ अभिनेता के तौर पर ही नहीं बल्कि अपनी ज़िंदगी में हमेशा हर तरह से बेहतर बनने की कोशिश करता रहता है। और मुझे लगता है कि मैंने सुरक्षा जो एहसास इसमें देखा है, वो अब तक मैंने जितने भी लोगों के साथ काम किया किसी में नहीं देखा। वह एक ऐसा शख्स साबित हो सकता है जो बदलाव लाएगा। और वह ऐसा करता है। वह अपने साथ के कलाकरों में पहला ऐसा इंसान था जिसने अलग के चुनाव किये और अपने करियर की शुरुआत में बदलापुर जैसी फिल्म करी। ऐसा कुछ करने के लिए हिम्मत और एक बहुत मज़बूत शख्सियत की ज़रुरत होती है।

Adapted from English by Mahvish Razvi

Related Stories

No stories found.
www.filmcompanion.in