फिल्मों से चार साल के अज्ञातवास और रेस 3 के लिए शर्टलेस होने पर ये बोले बॉबी देओल

बुरे दौर में कैसे परिवार ने की बॉबी की मदद और कैसे फिल्म इंडस्ट्री के बदलते तौर तरीकों के हिसाब से खुद को बदला बॉबी देओल ने? अनुपमा चोपड़ा को बता रहे हैं बॉबी इस खास मुलाकात में।
फिल्मों से चार साल के अज्ञातवास और रेस 3 के लिए शर्टलेस होने पर ये बोले बॉबी देओल

बॉबी, आपको इतने सालों बाद देखना चौंकाने वाला है। मेरे हिसाब से 20 साल तो हो ही गए होंगे। लेकिन, मैं सच कहूं तो आप अब भी ठीक वैसे ही दिखते हैं, जैसे तब दिखते थे। ज़रा बताइए ना, क्या हुआ तब से अब तक?

मुझे लगता है जिंदगी ही आगे निकल गई। करियर वहीं रह गया। मैं पूरे चार साल से कोई काम नहीं कर रहा था। चीजें ठीक से फिट नहीं हो पा रही थीं। और, मैं सोचता रहा कि आखिर क्यों? लेकिन, तान्या, मेरी पत्नी, हमेशा कहती रहती, "तुम्हें अपना ख्याल रखना होगा। खुद को देखो। कैसे दिख रहे हो तुम!" और, मेरा जवाब होता, "क्या मतलब कि मैं कैसा दिख रहा हूं। मैं तो बिल्कुल ठीक दिख रहा हूं।"
समझने की बात यहां ये है कि जब मैंने अपना करियर शुरू किया, तो मैं एक पारंपरिक तौर से फिल्मों में काम करने वाले परिवार से आया था। और, जब मैं फिल्म इंडस्ट्री में आया तो वह बदलाव के दौर से गुज़र रही थी। तब काम खुद चलकर मेरे पास आता था, बजाय इसके कि मैं काम मांगने जाता, तो मुझे इसकी आदत सी हो गई। और, फिर सब कुछ सुस्त पड़ने लगा क्योंकि मैंने खुद को समय के हिसाब से बदला नहीं। और, जो किरदार कभी मेरे पास आते थे, उन्हें दूसरे अभिनेता करने लगे, मैं इसे समझ नहीं पाया। और, धीरे- धीरे मेरे लिए सब कुछ सुस्त होता गया। मेरे जीवन में भी अवसाद आ रहा था, मैंने चीजों की परवाह नहीं की, अपने बारे में परवाह नहीं की। और, फिर जैसा कि आप जानती हैं, मैं एकदम से सब कुछ खोने लगा।
और, इसके बारे में आपको पता भी नहीं होता जब तक कि एक दिन ये आपके सामने आकर खड़ा हो जाता है और तब आपको खुद ये समझ आता है। कोई भी लगातार आपसे ये नहीं कह सकता है कि आप गलत हैं। आपको ये खुद समझना होता है। मेरे बच्चे बड़े हो रहे थे। मैंने उन्हें देखना शुरू किया। और मैं खुद को देखता था, मैं ये सोचता रहता था कि इनका बाप हमेशा घर में बैठा रहता है, हर वक्त। तब मुझे ये भी समझ नहीं आया था कि सोशल मीडिया इतना बड़ा हो गया है कि जो कुछ भी ये कहता है लोग उस पर भरोसा करना शुरू कर देते हैं।
लोग मेरे बारे में तब ऐसी बातें किया करते थे कि "ओह हो ये तो बहुत खुश है। इसे तो काम ही नहीं चाहिए। इसके पास तो बहुत सारा पैसा है, इसको काम की पड़ी ही क्या है? ये तो आलसी है।" और भी बहुत कुछ ऐसा ही। तो मैं सोचता था, "मैं इस सबसे कैसे लड़ूं? मैं कैसे लोगों को समझाऊं कि मुझे भी काम चाहिए?" मैं अपने बच्चों को देखता हूं, मैं उनके लिए काम करना चाहता हूं। मैं अपने जीवन के हर दिन काम ही करते रहना चाहता हूं, और मैं वह करना चाहता हूं जो मैं सबसे अच्छे तरीके से कर सकता हूं। जैसे कि मेरे पिता ने मेरे लिए किया, मैं वह सब कुछ अपने बच्चों के लिए करना चाहता हूं। तो तब मुझे एकदम से ये सब समझ आया और मैंने अपना ख्याल रखना शुरू किया। मैं खुद को तैयार करना चाहता था क्योंकि काम तो कभी भी आपकी कुंडी खटका सकता है। पिछले दो-तीन सालों में मैं घर से निकला और लोगों से मिला। ऐसा होता था कि मैं बस बाहर निकल जाता और जिस किसी से भी मिल सकता था, मिला। जिस चीज की आपको आदत पड़ जाती है, उससे बाहर निकलना बहुत मुश्किल होता है। इसी तरह मेरे लिए दूसरों के पास जाकर काम मांगना आसान नहीं था।

हां, ये बहुत मुश्किल है।

ये कठिन है। हर कोई मेरी तरफ देखता और बोलता, "आपको क्या काम चाहिए? हां, हां, सोचेंगे, सोचेंगे!" सबको तब भी यही लगता रहा कि मैं तो एक स्टार हूं जो अच्छा खा कमा रहा है और ये भी कि कुछ न कमाने के बाद भी ये बंदा मस्त है। तो आखिर में मैं इन सबसे मिला। और, यही काम आया।
जैसे कि आप सलमान का उदाहरण ले लो। मैं अपनी पूरी जिंदगी अब तक ऐसे इंसान से नहीं मिला। मेरा उनका कोई नाता नहीं है, फिर भी वह मुझे अपने घर के किसी सदस्य की तरह ही मानते हैं। मुझे याद हैं जब मैं क्रिकेट खेला करता था (मुझे इस खेल से प्यार भी है) और तब मैंने सेलेब्रिटी क्रिकेट लीग (सीसीएल) खेलना शुरू किया था, अक्सर मेरा और सलमान का उन दिनों खूब आमना सामना होता था। ऐसा नहीं कि तब मैं सलमान को जानता नहीं था लेकिन आप इंडस्ट्री में काम करते हुए भी हर किसी से रोज़ तो मिलते नहीं हैं।
तो इस बार मैं जब उनसे मिला, तो छूटते ही उन्होंने पूछा, "क्या कर रहे हो? ये दाढ़ी उगा ली तूने?" उन दिनों में कुछ ऑफबीट फिल्में करने की सोच रहा था। ऐसा इसलिए क्योंकि किसी ने मुझसे इस तरह के किरदारों की उम्मीद नहीं की थी। तो मुझे लगा कि मैं इसका फायदा उठा सकता हूं और मैं वाकई में ऐसा करना भी चाहता था। लोगों ने मुझे हमेशा एक कमर्शियल ऐक्टर ही समझा, किसी ने मुझे ऑफ बीट सिनेमा करते नहीं देखा। लेकिन, ये भी काम नहीं आया। मेरी दाढ़ी बाबा रामदेव जैसी हो चुकी थी। पर मुझे तो अपने लुक्स की परवाह ही नहीं थी, मुझ तो बस एक ऐसा किरदार करना था। तब सलमान ने मुझे समझाया, "देख जब मेरा करियर ठीक नहीं जा रहा था तो मैं तेरे भाई की पीठ पर चढ़ गया। संजय दत्त की पीठ पर चढ़ गया।" मैंने कहा, "तो मामू" मैं सलमान को मामू कहकर ही बुलाता हूं, "मामू मुझे तेरी पीठ पर चढ़ने दे ना।" मेरा मतलब था कि मुझे काम दो।

तो आपने कहा, "मामू, तेरी पीठ पर चढ़ लूं?"

उन्होंने कहा, "पक्का, तू ये दाढ़ी शेव कर दे।" सलमान को हमेशा याद रहता है। उन्होंने मेरी मदद करने की कोशिश भी की लेकिन तब बात बनी नहीं। इसके बाद मैंने पोस्टर ब्वॉयज की और इसे लेकर मैं बहुत उत्साहित भी था। ऐसा इसलिए क्योंकि एक बार फिर मैं एक ऐसा रोल कर रहा था जिसकी किसी को मुझसे उम्मीद नहीं थी। ये रोल एक छोटे से शहर के स्कूल टीचर का था। इससे पहले अगर किसी फिल्म में मैंने छोटे शहर के लड़के का रोल किया था, तो वह थी करीब। मुझे उस फिल्म में बहुत मज़ा आया था। करीब का हर शेड्यूल मेरी यादों में बसा है। किसी खूबसूरत याद की तरह।
जब मुझे फिर से ये करने को मिला तो मैं बहुत खुश था। और श्रेयस एक्टर डायरेक्टर के तौर पर काम कर रहा था, बतौर डायरेक्टर ये उसकी पहली फिल्म थी, मुझे बहुत मज़ा आया उसके साथ काम करके, हम लोग खूब वर्कशॉप्स किया करते थे। मुझे याद है कि अपने करियर में मैंने पहली बार किसी फिल्म के लिए अगर वर्कशॉप्स की थीं तो वो करीब के डायरेक्टर विनोद (चोपड़ा) के लिए थीं। हर शाम हम मिल बैठते थे और सीन्स को पढ़ते थे। ये बहुत काम आता है, इससे मदद भी बहुत मिलती है। हमने बहुत मेहनत से काम किया। सारी लाइनें समझीं क्योंकि मुझे शुद्ध हिंदी में बात करनी थी। फिल्म ने बॉक्स ऑफिस पर ज्यादा कमाल तो नहीं दिखाया लेकिन लोगों ने मुझे फोन किए, मेरे काम की तारीफें की।
इससे मुझे एक नई ऊर्जा मिली। मैंने खुद को भरोसा दिलाया, "कोई बात नहीं। कम से कम लोगों ने फिर से मेरी तरफ देखना तो शुरू किया। काम की तारीफ तो की।" और फिर मुझे यमला पगला दीवाना 3 मिली। मैं अब खुश था। अपने भाई और डैडी के साथ काम कर रहा था। लेकिन, यहां भी एक बात थी मेरे भीतर। मैं इन बातों से आगे जाकर कुछ करना चाहता था कि मैं हमेशा अपने भाई या डैडी के साथ ही काम करता रहता हूं। मैं ऐसा इसलिए भी करना चाहता था क्योंकि लोग उन दिनों एक नए शब्द के बारे में बातें करने लगे…

नेपोटिज्म (वंशवाद)

हां, पहले पहल तो मुझे इसका मतलब ही समझ नहीं आया कि आखिर ये बला क्या है? जैसे कि जब मैंने अपना करियर शुरू किया तो मुझे ये नहीं पता था कि जॉनर क्या होता है। मैं पूछता भी, "ये जॉनर क्या होता है?" सो मेरी जिंदगी में ये एक नया शब्द आया। और फिर मुझे समझ में आया कि दरअसल ये किस बारे में बातें हो रही हैं। लेकिन, मेरे साथ कभी परिवारवाद जैसा नहीं रहा। ये बस वैसा ही है कि जब आपके पास काम नहीं हैं तो आप काम करेंगे भी तो किसके साथ? अपने ही काम कराएंगे ना। जब ये सब हो रहा था, मैंने अपनी सेहत पर ध्यान देना शुरू किया। फिटनेस ट्रेनर प्रशांत के साथ मैंने खूब मेहनत की। प्रशांत को तो आप सब जानते ही हैं कि वह शाहरुख खान के ट्रेनर हैं। फिर एक दिन मेरे पास एक फोन आया…सलमान का फोन। मुझे पहली बार तो यकीन ही नहीं हुआ, "सलमान मुझे फोन कर रहे हैं?" फिर मैंने कॉल रिसीव की और बोला, "हां, मामू?" उधर से आवाज़ आई, "शर्ट उतारेगा?"

तो किरदारों के लिए कास्टिंग ऐसे होती है! "शर्ट उतारेगा!"

नहीं, मैं आपको बताता हूं कि पूरा किस्सा क्या है। जब मैं रमेशजी (टिप्स कंपनी के मालिक रमेश तौरानी) के साथ सोल्जर कर रहा था तो वे लोग मुझे परदे पर बिना शर्ट के दिखाना चाहते थे। मैंने सवाल किया, "मुझे शर्टलेस क्यों होना चाहिए?" मुझे इसके पीछे कोई लॉजिक समझ नहीं आया और मैं वैसे ही बहुत शर्मीले टाइम का इंसान है। जहां तक मुझे लगता है इन लोगों ने इस किस्से पर बात की होगी और रमेशजी ने सलमान से कहा होगा, "वह शर्ट नहीं उतारेगा।" और सलमान चाहते थे कि मैं किसी तरह रेस 3 का हिस्सा बनूं। तो मैंने बोल दिया, "मामू, मैं कुछ भी करूंगा।" इस पर सलमान ने कहा, "कल आओ और स्क्रिप्ट सुनो।" इस तरह मुझे रेस 3 मिली।
एक और किस्सा मैं आपको सुनाना चाहूंगा। कोई साल-डेढ़ साल पहले मैं साजिद नाडियाडवाला से मिला। आपको मेरी और साजिद की ये कहानी जानकर हैरानी होगी। ये उन दिनों की बात है जब साजिद मेरे साथ काम करना चाहते थे और पता नहीं क्यों, बस हम लोग साथ काम कर नहीं सके। तब वह मेरे घर आते थे और इस बार मैं उनके पास गया और उनसे मिला। लेकिन अब इस सबका मुझ पर कोई फर्क नहीं पड़ता। साजिद को वह सब याद था और मैंने कहा, "अब मैं चलकर आपके पास आया हूं। प्लीज़, मुझे काम दो।" और इस तरह मुझे हाउसफुल 4 मिली।
लोगों को ये लगने लगा कि मैं बदल रहा हूं, अब मैं ज्यादा पॉजिटिव हूं, मेरे अंदर एकाएक एक अलग तरह की ऊर्जा दिखने लगी है। मैं शुरू से ऐसा ही था बस मुझे ये पता नहीं था कि ये सारी बातें दूसरों को कैसे दिखा सकूं। मैं खुश हूं कि अब चीजें अपना आकार ले रही हैं और मैं देख रहा हूं कि मेरे आसपास अच्छी चीजें हो रही हैं। और, अगर सब कुछ अच्छा नहीं भी होता है तो इस बार मैं भागने वाला नहीं हूं। मैं अब इसी पर फोकस करना चाहता हूं और इस बात पर ज़ोर देना चाहता हूं कि मैं अपनी जिंदगी में रोज़ काम पर जा सकूं।

लेकिन बॉबी, क्या वाकई आपने खुद को पहले किस्मत के हवाले कर दिया था?
एक तरह से देखा जाए तो इसका उत्तर हां ही होगा। आप चुनौतियों से मुंह नहीं मोड़ते हैं, बस आप खुद की अनदेखी शुरू कर देते हैं।

आप बस जो हो रहा है उसे होने देते हैं।

हां, और आप भीतर ही भीतर खुद से लड़ना शुरू कर दे हैं। लड़ाई उन चीजों से जिन पर आप भरोसा करने लगते हैं। और, फिर आपको एकाएक समझ आता है कि अरे आप इतने सालों से कर क्या रहे थे? कोई आपका नहीं है, आपको कुछ करना है तो आपको अपने आप करना पड़ेगा। इस बात का कोई फर्क नहीं पड़ता कि आपका परिवार कितना मजबूत है, वे आपको बने रहने की ताकत तो दे सकते हैं लेकिन काम करने के लिए, जीवन में आगे बढ़ने के लिए, आपको ये सब खुद करना ही होता है। आपका परिवार आपकी कितनी मदद कर सकता है? दरअसल, कड़ी मेहनत करके और अपना सर्वश्रेष्ठ देकर आप उनकी मदद कर सकते हैं। आर्थिक रूप से भी और मानसिक खुशी के तौर पर भी। तब आपके आसपास मौजूद लोग आपको खुश नजर आते हैं। क्योंकि घरवाले देखते हैं चेहरा हर दिन और बोलते हैं, "तू उदास क्यों है इतना?" मैं बोलता हूं, "नहीं, मैं ठीक हूं।" "नहीं, तू चुप हो गया है।" एक संयुक्त परिवार में रहते हुए आप भला अपने इमोशंस छुपा भी कैसे सकते हैं?

हां,

ये करना नामुमकिन है।

मुझे लगता है कि मुझे एक अच्छा परिवार आशीर्वाद के तौर पर मिला। आशीर्वाद इस बात का कि लोग हमारे परिवार को इतना प्यार करते हैं और ये सब चाहते हैं कि मेरी वापसी हो। इंडस्ट्री में हर कोई मुझे वापस देखना चाहता है। और, ये सब देखना और सुनना वाकई बहुत अच्छा लगता है।

तो जब आप रेस 3 जैसी एक फिल्म करते हैं, जिसमें सलमान खान हैं, बतौर एक्टर जिनकी मौजूदगी ही बाकी सब चीजों की छोटा कर देती है, तो ऐसे में आप अपनी मौजूदगी का एहसास कैसे कराते हैं?

देखिए, एक अभिनेता के तौर पर मैं अपने आसपास के लोगों का असर खुद पर नहीं पड़ने देता। मैंने कभी नहीं सोचा कि हम किसी कंपटीशन में हैं। और सलमान के बारे में सबसे अच्छी बात ये है कि मैं जितने भी कलाकारों से मिला हूं, उनमें वह सबसे ज्यादा निस्वार्थी हैं। वह हमेशा देने में यकीन करते हैं। और वह एक बहुत ही विशाल व्यक्तित्व के स्वामी हैं, एक बहुत बड़े स्टार, लेकिन फिर भी मैंने कभी उन्हें किसी दूसरे कलाकार से खुद को असुरक्षित होते नहीं देखा। उनके जैसे किसी दूसरे शख़्स से मैं आज तक मिला भी नहीं हूं। मैं इसलिए उनकी तारीफ नहीं कर रहा कि मैं उनके साथ काम कर रहा हूं, लेकिन मैंने ये सब देखा है।

बॉबी, जब आप अपने करियर के सबसे खराब दौर में थे, आपने कहा कि आप करीब करीब शराबी हो गए थे और आप निर्देशकों और निर्माताओं से बात करते थे और लोग कहते थे, "हां, हम कुछ करेंगे।" लेकिन उन्होंने किया नहीं। उस मौके पर आपने कैसे खुद पर भरोसा बनाए रखा? कैसे आपने खुद को संभाला और फिर से एक नई पारी की शुरूआत की?

जैसा कि मैंने कहा, मेरा परिवार और मेरे बच्चे ही सबसे बड़ी प्रेरणा रहे। मैं चाहता था कि वे अपने पिता को सबसे अच्छे रूप में देखें। मैं नहीं चाहता था कि वो अपने पिता को देखें और कहें, "ये तो लूज़र है" या "इसने हालात से लड़ना छोड़ दिया।" मैं चाहता था कि मैं भी उनके लिए प्रेरणा का काम करूं जैसे मेरे पिता मेरे लिए हैं। और, यही मेरे लिए सबसे अहम है। और मेरी पत्नी, जिसने मुझ पर हमेशा भरोसा किया।

बॉबी, आपने अपने एक इंटरव्यू में कहा था, "आज हर एक्टर एक तरह का बिकने वाला माल है और हमें खुद को बेचना आना चाहिए।" आप इस बात को अच्छा मानते हैं या बुरा?

मुझे इसमें दूसरा कोई उपाय भी नहीं दिखता। क्योंकि, आपको खुद को ऐसा बनाना पड़ेगा कि लोग आपको परदे पर देखना चाहें। और, इसके लिए आपको कड़ी मेहनत करनी होगी, अपना ख्याल रखना होगा। मुझे लगता है कि आजकल ये एक फुल पैकेज जैसी चीज है। एक एक्टर सिर्फ एक एक्टर नहीं रहता सकता, उसको नाचना आना चाहिए, उसका शरीर अच्छा दिखना चाहिए, उसे वह सब करना पड़ेगा। पहले, ऐक्टर सिर्फ ऐक्टर होता था। अब आपको खुद को आकर्षक बनाए रखना होता ताकि लोग आपको देखना चाहें। आपको समय के मुताबिक खुद को वैसा बनाना ही पड़ेगा। मैं अब सिर्फ एक स्वस्थ जीवनशैली के हिसाब से जीने की कोशिश कर रहा है। और, यही वह सब कुछ है जो आपको करना चाहिए। ईमानदार होना, सच्चा होना और स्वस्थ होना। अगर आप स्वस्थ नहीं हैं तो फिर ईमानदारी और सच्चाई किस काम की। करेंगे क्या आप उसका?

किरदारों की बात करें तो अब आप क्या करना चाहेंगे?

जैसा कि मैंने कहा, अच्छे किरदार। अच्छे विषय ही अच्छे किरदार बनाते हैं। मैं देख रहा हूं कि मैं कुछ ऐसा पा सकूं। मेन लीड, क्यों नहीं? लेकिन, इसका मतलब ये भी नहीं कि मैं सिर्फ मेन लीड ही करूंगा। मैं सिर्फ उन लोगों के साथ काम करना चाहता हूं जो ईमानदार हैं और अपने काम के प्रति समर्पित हैं। आजकल इतने नए लोग काम कर रहे हैं, इतने लोग हैं जो बहुत ही अच्छा काम कर रहे हैं। मैं उन सबके साथ काम करना चाहता हूं। मैं उन लोगों के साथ काम करना चाहता हूं जो इंडस्ट्री में जम चुके हैं। और मैं खुद जाकर इन सब लोगों से मिलना चाहता हूं, काम मांगने के लिए और मैं ये ज़रूर करूंगा।

ये तो बहुत अच्छी बात है। एक हिसाब से देखें तो तारीफ करने लायक बात। मुझे नहीं लगता कि इस बात को लेकर किसी तरह का संकोच होना चाहिए।

जी नहीं, अब मेरे भीतर इस तरह की कोई बात पनपती भी नहीं हैं। अब कोई संकोच नहीं होता।

हां , होना भी क्यों चाहिए?

मैं सिर्फ शर्मीला था। मुझे पता नहीं मैंने ये सब पहले क्यों नहीं किया। कितने लोग थे जिनके साथ मैं काम करना चाहता था और मैं ये सोचता रहा कि ये लोग मुझे काम देंगे। लेकिन, ये सब ऐसे होता नहीं है। मैं उन्हें जानता हूं। ये इस तरह से होता नहीं हैं, आपको खुद जाकर लोगों से मिलना होता है और उन्हें बताना होता है।

और बॉबी, क्या आप ऐसे रोल भी करना चाहेंगे जो जरूरी नहीं कि हीरो वाले ही हों? क्योंकि इन दिनों बहुत सारी फिल्में ऐसी बन रही हैं जो पारंपरिक हीरो या विलेन वाली कहानियां नहीं हैं।

बिल्कुल, ये एक नई दुनिया है..एक नई तरह की सोच। ऐसे तमाम विषय हैं जो इसी तरह लिखे जा रहे हैं। मैं इन सबके लिए तैयार हूं। जो कुछ भी मेरे जीवन में गुजरा है, वह एक ऐक्टर के तौर पर अब मेरी मदद कर रहा है। मैं इन सबके लिए तैयार हूं। मुझे उम्मीद हैं कि इसमें मज़ा भी आएगा। बस दुख मुझे इस बात का है कि अब तक यानी कि आज तक एक चीज जो एक्टर्स को लेकर नहीं बदली है वो ये कि एक बार जो आपकी इमेज बन जाती है, उससे बाहर निकलना बहुत मुश्किल होता है। आप मेहनत चाहे जितनी करें। कितनी ही फिल्में बनती हैं जो मेनस्ट्रीम सिनेमा नहीं है, उनमें बड़े सितारे हैं। लेकिन, ये चलती नहीं है। यही फिल्में अगर आप कम बड़े सितारों को लेकर बनाते हैं, वे सितारे जो कमर्शियल एक्टर नहीं, तो ये चल जाती हैं। आपने भी ये देखा तो होगा ही। मेरे हिसाब से ये अच्छी बात नहीं हैं क्योंकि एक ऐक्टर के तौर पर आप बहुत कुछ करना चाहते हैं। अलग तरह की फिल्में करना चाहते हैं, लेकिन ऐसा हो नहीं पाता। तो फिलहाल, जो फिल्में मैं कर रहा हूं वे सब कमर्शियल सिनेमा का हिस्सा हैं।

लेकिन, आप निश्चित तौर पर किसी भी तरह के प्रयोग के लिए तैयार हैं।

हां, मैं निश्चित तौर पर किसी भी तरह के प्रयोग के लिए तैयार हूं बशर्ते उस पर मेरा भरोसा जम सके। मैं सिर्फ अलग तरह का सिनेमा करने के लिए ऐसी किसी फिल्म का हिस्सा नहीं बन सकता जिसकी कहानी पर मेरा यकीन न हो।

नई सदी में जन्मी पीढ़ी के लिए 90 के दशक की यादें काफी मायने रखती हैं। 90 के दशक की आपकी क्या यादें हैं? कोई ऐसा मज़ेदार किस्सा जो आपके साथ हुआ है? या कोई ऐसी बावली सी दिखने वाली बात जो आपके साथ हुई हो?

हर बीतती जा रही पीढ़ी के साथ सहजता और सरलता भी जा रही है। नब्बे के दशक में हर बात में भोलापन होता था जो अब नहीं है। उस समय कुछ भी करने के, रहने के, पहनने के अपने तरीके होते थे। आज अगर आप ये सब याद करो तो हंसी आती है। वो पीढ़ी जो थी, ऐसी ही पीढ़ी थी। नब्बे के दशक की अपनी खूबसूरती थी, अपनी बेवकूफियां भी थीं।

बॉबी, उन दिनों के बारे में भी बताएं जब आप बड़े स्टार हुआ करते थे? तब फिल्मों में काम करना कैसा हुआ करता था? क्या तब लोग कुछ ज्यादा ही मस्ती से काम करते थे?

सच पूछें तो मैंने अपने बारे में कभी ऐसे सोचा ही नहीं। मैंने कभी इस बात पर गौर नहीं किया कि मैं किस लेवल का स्टार बन चुका हूं। कभी नहीं सोचा।

आप बस अनजान बने रहे।

ये बातें अब जब मैं करता हूं तो कोई मेरा यकीन नहीं करता। तब मैं सिर्फ काम करना चाहता था। मैं बस इतना चाहता था कि लोग मुझे वैसे ही प्यार करें जैसे उन्होंने मेरे डैडी को किया और मैं ये होते हुए देखा करता था। मैंने कभी इस बात पर ध्यान ही नहीं दिया। शायद मुझे इन बातों का ख्याल रखना चाहिए था। शायद मुझे ज्यादा मेहनत के साथ काम करना चाहिए था। लेकिन, अच्छी बातों को अपनाने के लिए देर कभी नहीं होती।

और, बॉबी क्या आपको लगता है कि अब आप बेहतर ऐक्टर हैं?

मैं शर्तिया तौर पर अब ज्यादा अनुभव रखता हूं तो ये आपको एक बेहतर ऐक्टर बनाता ही है। जब मैं छोटा था तो मेरा भाई हमेशा कहता था, "चिंता मत करो। तुम छोटे हो, चीजों को समझते नहीं हो तो इसमें कुछ गलत नहीं है। जब तुम्हारा अनुभव बढ़ेगा तो तुम चीजों का समझना सीख जाओगे।" और ऐसा ही होता है।

और घर पर, कैसा लगता है कि आप अपनी दूसरी पारी की तैयारियां कर रहे होते हैं और आपका भतीजा करन भी लॉन्चिंग की तैयारी में है?

मैं वाकई बहुत खुश हूं, वह मेरे बेटे जैसा है। लेकिन जब आप इस उम्र में होते हैं तो कैसा महसूस होता है, आप समझ ही सकती हैं। आप अपने बड़ों से बचने की फिराक़ में रहते हैं। सारे बच्चे ऐसा ही करते हैं। तो वह भी बड़ों से दूर रहने की जुगत में रहता है। और, मैं कहता हूं, "डूड, मैं कूल चाचा हूं। मेरे पास आओ, वह सब बताओ जो तुम बताना चाहते हो।" लेकिन वे अब भी मुझसे डरते हैं। मुझे नहीं पता क्यों? मैंने कहा भी, "मैं तुम्हारे डैड जैसा नहीं हूं। तुम्हारे डैड ऐसे होते थे…" जब घर पर मम्मी डैडी नहीं होते थे, तो मैं सोचता था, "वाह, अब मैं बाहर जा सकता हूं।" तभी मुझे भाई (सनी देओल) सवाल के साथ दिखता, "कहां जा रहे हो?" मैं कहता, "मैं बाहर जा रहा हूं।" "नहीं। तुम बाहर नहीं जा सकते।" मैं पूछता, "क्यों? मैं बाहर क्यों नहीं जा सकता?" "मैंने कहा ना कि तुम बाहर नहीं जा सकते।" तो मुझे उससे डर लगता था। मैं बाहर जाया ही नहीं करता था। वह चुप तो रहता था, पर उससे मुझे डर लगता था। बहुत ज्यादा डर।
अब मैं उसे बताता हूं, "तुम मुझे बाहर जाने से क्यों रोका करते थे?" क्योंकि उसे खुद बाहर जाना पसंद नहीं था, उसे पता नहीं नहीं कि बाहर जाने का मतलब क्या है। तो मेरा भाई पूरी तरह से उस फिल्म (करन की लॉचिंग फिल्म) में खोया रहता है। मैं उसके काम में दखल नहीं देता क्योंकि ये उसका बेटा है, उसकी जान है। और मैं कोई मशविरा भी देना नहीं चाहता क्योंकि इससे भ्रम पैदा होता है। जो कुछ भी वह कर रहा है, मैं उसमें भरोसा रखना चाहता हूं। और मैं इस बात को लेकर मुतमईन भी हूं, क्योंकि जब मैं उसके साथ दिल्लगी कर रहा था तो उसने जब मुझे पहली बार डायरेक्ट किया तब वह पहली बार डायरेक्ट कर रहा था और मुझे लगता है कि वह मेरे अब तक के सर्वश्रेष्ठ कामों में से है। वह करन से भी उसका सबसे अच्छा प्रदर्शन ही कराएगा। तो देखते हैं, इंतज़ार करते हैं।

तो सब कुशल मंगल है।

हां, सब बढ़िया ही है।

ये सुनकर बहुत अच्छा लगा, बॉबी! बहुत बहुत शुभकामनाएं। धन्यवाद।

बहुत बहुत धन्यवाद आपको। आपसे इतने अरसे बाद मिलना वाकई बहुत अच्छा लगा।

Adapted from English by Pankaj Shukla, consulting editor

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