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कभी हां कभी ना
कभी हां कभी ना डर और बाजीगर के बाद 1994 में रिलीज़ हुई थी लेकिन शाहरुख खान की स्टारडम सेट होने से पहले इसे शूट कर लिया गया था। शाहरुख खान के अभिनय में एक ऐसी मिठास और मासूमियत है जो उनकी फिल्मों में फिर देखने को नहीं मिला |
फैन
गौरव आसानी से शाहरुख खान के फिल्मोग्राफी में सबसे आकर्षक पात्रों में से एक है |
कल हो न हो
एक रोमांटिक हीरो के साथ-साथ एक फैमिली मैन के रूप में शाहरुख खान का शानदार प्रदर्शन इस फिल्म को खास बनाता है |
देवदास
"कौन कम्बख़्त बरदाश्त करने को पीता है?" इस डायलॉग में दिलीप कुमार जैसी गहराई भले ही ना हो, लेकिन शाहरुख खान के पास एक अहंकार और भावुकता है जो इस देवदास को यादगार बनाती है।